साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 23
राहुल किचन से बाहर जाने के लिए मुड़ा ही था कि रोशनी को दरवाजे में पाकर वो घबरा गया, उसे लगा रोशनी ने सबकुछ सुन लिया होगा।
"र र रोशनी तुम…. तुम यहाँ कब आयी" राहुल ने कहा।
"जब तुम और तुम्हारा दोस्त हम माँ बेटी को मारने का प्लान बना रहे थे।" रोशनी हंसते हुए बोली- "ऐसे क्यो डर रहे हो? अपनी पुरानी गर्लफ्रैंड के किस्से सुना रहे थे क्या दोस्त को, या हमारी चुगली कर रहे थे?"
राहुल ने राहत की सांस ली और कहा- "कुछ नही, बस ऐसे ही अचानक…. अच्छा कुछ चाहिए था क्या?"
"नही, मैं बस ये देखने आई थी कि दीपक को खाना बनाना भी आता है या बस अपने दोस्त को थकाने की साजिश है" रोशनी ने कहा।
" अरे ऐसी बात नही है भाभी जी, हम दोनो जब होते है तो एक दूसरे का जमकर फायदा उठाते है, और दीपक भी अच्छा खाना पकाता है ऐसी बात नही है" अविनाश ने कहा
"मगर मम्मी वहां मुझे तँग कर रही कि उनकी कुछ मदद करनी है तो पूछ लें, आप लोग बोलो मैं कुछ करूँ क्या?" रोशनी ने कहा।
"हां…… तुम अपनी मम्मी को समझाओ की आज पुरुष डे है, महिलाओं को बारी कल, क्योकि कल अवि चला जायेगा ड्यूटी, फिर मैं भी नही आऊँगा किचन में" हँसते हुए राहुल बोला।
"हव्व्व….बड़े चालाक हो, वैसे अब तो पता चल चुका है कि तुम्हे कुकिंग आती है…. आगे भी काम आएगी ये जानकारी" कहते हुए रोशनी हँसते हुए चली गयी और राहुल उसे जाता है देखकर मुस्कराया और बुदबुदाया- " अभी वेटरिंग और अच्छा करता हूँ मैं, लेकिन अब शायद मुझे वो काम सीखना होगा जो तुम करती हो, अगर पकड़ा गया कि मैं दीपक नही तो सारा काम खराब हो जाएगा, आज तो बाल बाल बच गया"
"क्या…?? क्या बोल रहा?" अविनाश ने कान लगाते हुए कहा।
"कुछ नही, बस….यूं ही" राहुल बोला।
"अच्छा, फिर आगे का क्या सोचा है, पहले प्लास्टिक सर्जरी फिर शादी…." अविनाश ने कहा।
"तू टेंशन मत दे यार, चुप कर जा, अभी प्लास्टिक सर्जरी तक ही सोच, उसके बाद मैं धीरे धीरे सब सच बता दूँगा, वैसे भी रोशनी से दीपक प्यार करता था, मैं नही, मैं क्यो करूँगा उससे शादी…. तू तो जानता है मैं किसे पसंद करता था?" राहुल ने कहा।
"हे भगवान…. तेरी सुई अभी वही अटकी पढ़ी है क्या? भगवान भला करे तेरा दोबारा पिटनेका कब का प्लान है,अभी शादी नही हुई उसकी,चाहे तो ललकार उसके भाई को" अविनाश ने कहा।
"तुझे बस पिटाई ही दिखता है, मेरा प्यार नही….🤔🤔
उसका रोज आना,
फुल प्लेट खाना खाना
और फिर वेटर राहुल की तरफ देखकर
मंद मंद मुस्कराना……
फिर मेरा उसे बिल पकड़ाना
और उसका करेक्ट पैसा दे जाना
फिर उसी याद के सहारे पूरा दिन बिताना….
कितने अच्छे दिन थे ना"
"अविनाश ने राहुल की शायरी सुनी और फिर उसे याद दिलाते हुए कहा-
"तेरी कोशिश, उसे रिझाना
उसके आने पर खुश हो जाना
लेकिन उसके साथ किसी लड़के को देख
तेरा जज्बातों का ना रुक पाना
और उसे इस बात के लिए खरी खोटी सूनाना
फिर लड़के के जूते ,तेरा सिर, देखे सारा जमाना
अकेले भी कहाँ अवि के बस का था छुड़ाना"
अवि तो हँस पड़ा लेकिन राहुल पुराने ख्यालो में डूबता गया ।
रोज कृतिका अकेले ही उस रेस्टोरेंट में आती थी और अपना लंच करती थी, उम्र की कच्ची कली सी दिखती थी, और खूबसूरती में उसका मुकाबला कहीं नही नजर आता था। राहुल हमेशा उससे आर्डर लेता और परोसता था। बदले में उसे मिलती एक मीठी सी मुस्कान। करीब एक महीना हो चुका था इतवार के अलावा हमेशा ही ये सब चीजें रीपीट होती थी, राहुल पहले हफ्ते में दो छुट्टी करता था, लेकिन अब वो इतवार को भी आ जाता था क्या पता वो आ जाये। रोज अकेले आने और मुस्कराने वाली मैडम उस दिन एक लड़के के साथ उस रेस्टोरेंट में आई, राहुल का जैसे दिल टूट सा गया, उसे बहुत अजीब लगा कि उस लड़की के साथ एक लड़का आ रहा है। राहुल ने अपने गले के थूक को जबरदस्ती निगला और आर्डर लिखने लगा।
"तु बता ना क्या खायेगा?"कृतिका ने उस लड़के से कहा।
"प्लीज कुछ भी मँगा लो, आज जो तेरा खिलाने के मन करे वो खिला दे" लड़के ने कहा।
"यार, कभी कभी तो आता है , और आज भी नखरे, फिर ना जाने कब आएगा" कृतिका बोली।
"एक बात बता तू रोज यही आती है क्या खाना खाने, इसी रेस्टोरेंट की बात बता रही थी मुझे" लड़का बोला।
"हाँ, एक बार खाना खायेगा तो फैन हो जाएगा, फिर यही आएगा" कृतिका बोली।
राहुल बारी बारी दोनो को देख रहा था, लड़की के हिसाब से लड़का कुछ भी नही था, न सुंदर ना पर्सनेलिटी, स्मार्ट था लेकिन राहुल को खुद से बेहतर नही लगा, और कृतिका के साथ तो उसका कोई मेल ही नही था। लेकिन फिर भी कृतिका के साथ आया था तो शायद कृतिका को वैसे ही लड़के पसंद होंगे ये सोचते हुए राहुल बस अंदर ही अंदर जल रहा था।
"लेकिन यहाँ तो लड़कियां स्टाफ में है ही नही, बस लड़के लड़के, तुम्हे यहाँ नही आना चाहिए, अकेले तो बिल्कुल नही" लड़के ने कहा।
राहुल मन ही मन बोला-" साले! तू मेरा काम बिगड़ने आया है यहाँ। तुझे क्या प्रॉब्लम अगर लड़की नही यहां तो, हम हर लड़की का इज्जत करते है, और इसका भी बहुत करता था,लेकिन आज तुझे साथ लाकर इसने खुद को मेरी नजर में गिरा दिया है"
"अरे यार, अब तू थोड़ी साथ रहेगा हमेशा,अकेले ही आऊंगी, और वैसे भी यहां का स्टाफ बहुत अच्छा है…." कृतिका ने कहा।
मैं सिर झुकाए खड़ा था, उसने मेरी तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा- "एक्सक्यूजमी , इसे मेन्यू कार्ड दिखा दो, आज ये करेगा आर्डर"
राहुल ने हाथ का कार्ड लड़के को पकड़ा दिया।
थोड़ी देर बाद दोनो का आर्डर लेकर राहुल आया और उनके सामने रख दिया, राहुल बार बार कृतिका की तरफ देख रहा था, शायद उसे आज उसने हर्ट किया था, लेकिन अब भी राहुल उसे देखकर उसके बारे में सिर्फ अच्छा ही सोच रहा था- "काश ये इसका बस जस्ट अ फ्रेंड हो और कुछ नही, वैसे ये लगती नही की अभी से बॉयफ्रेंड के चक्कर मे पड़ जाएगी,जैसे बाकी लडकिया खाती कम है और फोन पर बात ज्यादा करती है यहां बैठकर, लेकिन ये कभी ऐसा भी नही करती थी, और बात तो ऐसे कर रही जैसे बस पड़ोसी हो कोई, लेकिन ये लड़का कुछ ज्यादा ही कैयरी बन रहा है…. "यहाँ अकेले मत आया कर" बड़ा आया।"
लड़के ने देखा कि वो वेटर बार बार लड़की को देख रहा है तो उसे ये बात थोड़ी अटपटी लगी, जवान वेटर था, और कृतिका भी सुंदर थी। और कृतिका का ध्यान उस तरफ नही था।
"ओ हेलो , पानी ला एक गिलास……" लड़के ने आर्डर देते हुए राहुल से कहा।
"जी जी…." कहते हुए राहुल अंदर को भागा।
उसके जाने के बाद लड़का लड़की से बोला- "स्टाफ अच्छा बोल रही है तू, तूने देखा नही वो लड़का कैसे घूर रहा था, तू बस अपने में मस्त रहती है।"
"कौन लड़का?" हैरानी से इधर उधर देखते हुए कृतिका बोली।
"वही वेटर" लड़का बोला।
लड़की कुछ बोलती की वेटर पानी ले आया और लड़के के आगे रख दिया और वापस खड़ा हो गया।
"एक हम ही है क्या यहां? और कस्टमर भी अटेंड कर लो" लड़का फिर से डांटते हुए बोला।
राहुल को पहले ही उसपर गुस्सा आ रहा था, क्योकि वो कृतिका के साथ आया था, और ऊपर से बार बार उसका डांटना….
राहुल अपना ध्यान बदलते हुए थोड़ी दूर खड़ा हो गया।
लेकिन चोरी चोरी नजर उन दोनों की हरकतों पर थी।
दोनो ने खाते खाते थोड़ी बातें की, लड़की ने अपना हिस्सा खत्म कर लिया था, लड़के के थाली में अभी बहुत था।
लड़के ने अपने मे से कुछ खाना लड़की को खाने को कहा- "अरे इसमे से खा लो और…. इतना मैं नही खा पाऊँगा, ये लो ये रायता बहुत अच्छा हो रहा है, तुम्हारी प्लेट में नही था ना"
"अरे नही! मैं नही खाती रायता"
"जरा सा बस"
"नही प्लीज जरा भी नही"
"अरे जरा सा ही बस, इतना तो खाना पड़ेगा" कहते हुए लड़के ने लड़की के प्लेट की तरफ अपना प्लेट करके चम्मच से डालने लगा, लड़की बार बार उसकी थाली को धक्का दे रही थी लेकिन वो जिद पर अड़ा था।
राहुल के अंदर एक उबाल सा आ रहा था- "अजीब जबरदस्ती है, ऐसा थोड़ी होता है, क्या पता लड़की का मन तेरा जूठा खाने का नही है, यार उबले अंडे सी शक्ल का मासूम प्राणी भी इतनी सुंदर लड़की पटा कर उसे जूठा खिलाने के शौक पालता है, और सोचता है कि वो शाहरुख खान का इकलौता हमशक्ल है, या तो दाड़ी भी रख ले या मुछ हटा लें" राहुल ने कहा तो धीरे से था लेकिन ना जाने लड़के के कान में कितनी जान थी, उसने गुस्से में प्लेट नीचे रखा और पीछे मुड़कर गुस्से में खड़ा होते हुए बोला- "क्या कहा तूने…."
कहानी जारी है
Ramsewak gupta
11-Oct-2021 04:51 PM
Very good your post
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Fiza Tanvi
27-Aug-2021 06:01 PM
Nice
Reply
🤫
17-Aug-2021 06:51 AM
वाह... एक और नई कहानी...इनट्रेस्टिंग ट्रैक पर है स्टोरी।आगे क्या होगा जानने को उत्सुक..!!
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